पहले धरती
फिर आकाश
अब ईश्वर भी
सब यहाँ
बंटा हुआ.
हर सपना
हर आशा
हर सच
सब बंटा हुआ.
इन्सान
रिश्ते
भाव
सब बिखरे-बिखरे.
मैं - तुम
और यहाँ - वहाँ की
जद्दोजहद में
बंटने लगी है अब
सूखे होंठों की प्यास
आँखों की आस
और
मन का विश्वास
अब तो
तुमने
मैंने
मिलकर
रोटी और पानी के लिए
बाँट दिया
रोटी और पानी को.