उन्हें मित्र कहूं या अपनी वरिष्ठ सहपाठी...सहयोगी... कुछ समझ में नहीं आता.....शायद इस बारे में कभी सोचा नहीं...या फिर सोचने कि जरुरत ही नहीं पड़ी.....मुझसे बहुत बार कविताये सुनने कि ख्वाहिश जाहिर कि लेकिन यह कभी संयोगवश संभव नहीं हो पाया....मेरे ब्लॉग पर कविताये पढ़ी...और भी बहुत सारे ब्लॉग देखे...पढ़े....उसके मन में भी ब्लॉग बनाने कि इच्छा थी लेकिन पहाड़ जैसा प्रश्न सामने था....'क्या लिखूं'.
आज अचानक ही उनका ब्लॉग देखता हूँ और चार पोस्ट आँखों के सामने छलक पड़ती हैं...
क्या कुछ लिखा है.. अच्छा है या नहीं....आप खुद देखें और इस 'छोटी सी बच्ची' (शायद ये शब्द उपयुक्त है) को देखें कि वह कितनी बड़ी हो गई है....
www.shyamanisha.blogspot.com
5 टिप्पणियां:
ha ha ha... aapne theek kha hai mahodaye parantu ek prashan aur bhi tha k jo likha hua hai use post krne ki himmat kaise kru..blog pr daalne ki ichcha vaastav me bhut dino se thi..bs himmat hi nahi ho rhi thi.. vaise aapke is protsahan k liye bhut bhut dhanyavaad..
हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.
aap dono ka dil se dhanayavaad.. parantu yadi aapne mera blog pdha hai to kripya meri kavitaaon k baare me bhi mujhe batayen..
आप हिंदी में लिखते हैं। अच्छा लगता है। मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं..........हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत हैं.....बधाई स्वीकार करें.....हमारे ब्लॉग पर आकर अपने विचार प्रस्तुत करें.....|
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
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