snehi

शनिवार, 23 जुलाई 2011






प्रस्तुतकर्ता parveen kumar snehi पर 11:18 am
लेबल: लम्हे

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

नई पोस्ट पुरानी पोस्ट मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom)

हिन्दी में लिखिए

विजेट आपके ब्लॉग पर

ब्लॉग आर्काइव

  • ▼  2011 (8)
    • ▼  जुलाई (7)
    • ►  मार्च (1)
  • ►  2010 (9)
    • ►  सितंबर (1)
    • ►  जुलाई (1)
    • ►  अप्रैल (2)
    • ►  मार्च (5)

कुल पेज दृश्य

कविता कोश

लेबल

  • कविता (4)
  • कहानी (1)
  • ग़ज़ल (2)
  • निशा (1)
  • लम्हे (6)
  • लम्हे जो जो ठहर गये (1)

फ़ॉलोअर

सदस्यता लें

संदेश
Atom
संदेश
टिप्पणियाँ
Atom
टिप्पणियाँ

मेरी ब्लॉग सूची

  • बेचैन आत्मा
    उद्गार शतक का विमोचन - कल दिनांक 15 जून 2025 को स्याही प्रकाशन द्वारा प्रकाशित उद्गार शतक का विमोचन हुआ।
    2 हफ़्ते पहले
  • शब्दों का सफर
    आलपिन का सफरनामा #शब्दकौतुक - *चुभाने-जोड़ने की चीज़ें* ▪हिंदी में गाँव से शहर तक और बच्चों से बूढ़ों तक समान भाव से बोला जाने वाला शब्द है 'आलपिन' जो यूरोप के सुदूर दक्षिणी पश्चिमी ...
    1 महीना पहले
  • नीरज
    किताब मिली - शुक्रिया - 22 - दुखों से दाँत -काटी दोस्ती जब से हुई मेरी ख़ुशी आए न आए जिंदगी खुशियां मनाती है * किसी की ऊंचे उठने में कई पाबंदियां हैं किसी के नीचे गिरने की कोई भी हद ...
    6 महीने पहले
  • ताऊ डॉट इन
    पटना यात्रा के अनुभव भाग - 2 - अगली सुबह सोकर उठे तो चाय सुडकने की तलब लगी और किसी गुमटी ठेले पर चाय सुडकने का एक अलग ही आनंद होता है. गुमटी पर चाय सुडकने जावो तो वहां के खास देशी लोगों ...
    3 वर्ष पहले
  • दिल की बात
    तुम्हारे लिए - मैं उसकी हंसी से ज्यादा उसके गाल पर पड़े डिम्पल को पसंद करता हूँ । हर सुबह थोड़े वक्फे मैं वहां ठहरना चाहता हूँ । हंसी उसे फबती है जैसे व्हाइट रंग । हाँ व्...
    5 वर्ष पहले
  • मौन के खाली घर में... ओम आर्य
    और इस तरह मारा मैंने अपने बोलने को - ———— मुझे कुछ बोलना था पर मैं नहीं बोला और ऐसा नहीं है कि मैं बोलता तो वे सुन हीं लेते लेते पर मैं नहीं बोला मैं नहीं बोला जब कि मुझे एक बंद कमरे से बोलने क...
    5 वर्ष पहले
  • हिन्दी साहित्य मंच
    Mujhe Yaad aaoge - Hindi Kavita Manch - मुझे याद आओगे कभी तो भूल पाऊँगा तुमको, मुश्क़िल तो है| लेकिन, मंज़िल अब वहीं है|| पहले तुम्हारी एक झलक को, कायल रहता था| लेकिन अगर तुम अब मिले, तों ...
    5 वर्ष पहले
  • अज़दक
    एक जवान साथिन के लिए जो अब कहां जवान रही.. - ज़माना हुआ एक कबीता लिखे थे. एक जनाना थी, दुखनहायी थी, रहते-रहते मुंह ढांपकर रोने लगती थी, थोड़ा हम जानते-समझते थे, मगर बहुत सारा हमरे पार के परे था. सुझ...
    6 वर्ष पहले
  • पाल ले इक रोग नादां...
    यह विदाई है या स्वागत...? - एक और नया साल...उफ़्फ़ ! इस कमबख़्त वक्त को भी जाने कैसी तो जल्दी मची रहती है | अभी-अभी तो यहीं था खड़ा ये दो हज़ार अठारह अपने पूरे विराट स्वरूप में...यहीं पह...
    6 वर्ष पहले
  • आदित्य (Aaditya)
    Why I want to be house captain - Hello everyone! As some of you might already know, My name is Aadi in 6AW. So the reason I’m applying for house captain is that I think I can make a big ch...
    6 वर्ष पहले
  • तुम्हारे लिए
    कृष्ण माधुर्य 1 व्याख्या पार्ट 1 uma sarpal - ईIvरचना नम्बर 1 श्री गणेशाय नमः वक्रतुण्ड महाकय सूर्यकोटि समप्रभः ! निर्विघ्नं कुरुमे देव सर्वकार्येषु सर्वदा !! क...
    7 वर्ष पहले
  • janshabd
    यातनाएं झेलनेवाला - रात पिरहाना मछलियों-सी कुतरती रही तुम्हारी यादें और दिन भर बदनाम कुर्सियों को सुनाता रहा मैं मुक्ति-गीत एक गिटार ने मुझे जीने का गुर सिखाया एक आत्मा जो...
    7 वर्ष पहले
  • SHANTIDHARMI
    - रोग का मूल शरीर के रोग का मूल हमारे मन में है। मन के नकारात्मक चिन्तन का ही प्रभाव शरीर पर पड़ता है। मन रोगी है तो शरीर भी रोगी हो जाएगा। जानते हुए भी शरीर...
    7 वर्ष पहले
  • Abhivyakti -- अभिव्यक्ति
    - #यादों की पोटली #२ मुख्य द्वार पर एक पीतल की गोल कुंडी लगी होती उसके घुमाने पर अंदर लगी लकड़ी जो दो पल्लो पर लगी होती वो हट जाती और दरवाजा खुला जाता जिसे न...
    7 वर्ष पहले
  • इदम् राष्ट्राय || इदम् न मम् ||
    मर तो मै उस दिन ही गयी थी , - मर तो मै उस दिन ही गयी थी , जब दायी ने अफ़सोस के साथ मेरे जन्म कि सूचना माँ को दी ,, और बधायी भी नही माँगी ,,,, माँ ने अश्रु भरी आँखों से दीवाल की तरफ द...
    8 वर्ष पहले
  • वैतागवाड़ी
    सबद पर दस नई कविताएं - दस नई कविताएं *सबद* पर प्रकाशित हुई हैं. उनमें से एक नीचे है. सारी कविताओं को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. *व्‍युत्‍पत्तिशास्‍त्र* एक था चकवा. एक थ...
    9 वर्ष पहले
  • क्षितिज...
    ज़िंदगी इक दौड़ है... - ज़िंदगी इक दौड़ है... आगे हिरण है, पीछे शेर है, जीने की और जीने ना देने की इक मुसलसल होड़ है ज़िंदगी इक दौड़ है.... शेर भूखा है, वहशी है, दरिंदा है;...
    9 वर्ष पहले
  • Shobhaa De
    - Attn: Suparna,Olga,jayanti Shobhaa’s Take 13thFriday2015 Does stealth always works ....? What Awaaz Network achieved on Remembrance Day in London is an ...
    9 वर्ष पहले
  • Kiran Maheshwari
    Terminator Genisys (2015) - Best Terminator Genisys in High Definition FormatNow you can enjoy Terminator Genisys in high quality with duration 125 Min and has been launched in 2015-...
    9 वर्ष पहले
  • मीडिया व्यूह
    पाकिस्तानियों_के_10_सिर_लाओ! - कितने जवानों का बलिदान करना है मोदी को! ये राष्ट्रीयहित तो नहीं है मित्रों? अब बातचीत कर राष्ट्र विरोधी फैसला कर रहे हैं।जबसे मोदी- नवाज की मुलाकात हुई है...
    10 वर्ष पहले
  • किताबघर ( http://kitabghar.tk)
    समय का सदुपयोग - मरते समय एक विचारशील व्यक्ति ने अपने जीवन के व्यर्थ ही चले जाने पर अफसोस प्रकट करते हुए कहा था-मैंने समय को नष्ट किया, अब समय मुझे नष्ट कर रहा है।’’ सचमुच,...
    10 वर्ष पहले
  • युवा दखल
    मैने खुद को खोज लिया..तो हंगामा हो गया - *-आशीष देवराड़ी* क्वीन एक बेहतरीन फिल्म है जिसकी तस्दीक मल्टीप्लेक्सों की खाली पड़ी सीटे करती हैं। यह विडंबना ही है कि कहानी के मामलों में रिक्त फिल्में ...
    11 वर्ष पहले
  • मेरे आस-पास
    मैं एक दिन धूप में - मैं एक दिन धूप में घर की दीवारों पर बैठ घर की दीवारों की बातें उसे सुना बैठा और उसका हाथ दीवार से हमेशा के लिए हटा बैठा उसका साथ दीवारों से हमेशा के लि...
    11 वर्ष पहले
  • चिट्ठा चर्चा
    ब्लागिँग सेमिनार की शुरुआत रवि-युनुस जुगलबंदी से - और ये उद्घटान हो गया। उद्घटान नहीँ भाई उद्घाटन हो गया-ब्लागिँग सेमिनार का। वर्धा विश्वविद्यालय के हबीबा तनवीर सभागार मेँ वर्धा विश्वविद्यालत द्वारा आय...
    11 वर्ष पहले
  • अमृता प्रीतम की याद में.....
    आज ३१ अगस्त है -
    11 वर्ष पहले
  • प्रेम का दरिया
    मैक्सिम गोर्की की कहानी : उसका प्रेमी - *मुझे एक बार मेरी जान-पहचान वाले एक व्‍यक्ति ने यह घटना बताई थी।* उन दिनों में मास्को में पढ़ता था। मेरे पड़ोस में एक ऐसी महिला रहती थी, जिसकी प्रतिष्‍ठ...
    11 वर्ष पहले
  • GULDASTE - E - SHAYARI
    - *हो गयी शाम किसीके इंतज़ार में,* *ढल गयी रात उसीके इंतज़ार में,* *फिर हुआ सवेरा उसके इंतज़ार में,* *इंतज़ार ही मुकद्दर बन गयी इंतज़ार में !*
    12 वर्ष पहले
  • भीगी गज़ल
    जाने वाले कब लौटे हैं क्यूँ करते हैं वादे लोग - जाने वाले कब लौटे हैं क्यूँ करते हैं वादे लोग नासमझी में मर जाते हैं हम से सीधे सादे लोग पूछा बच्चों ने नानी से - हमको ये बतलाओ ना क्या सचमुच होती थी परि...
    12 वर्ष पहले
  • कवि योगेन्द्र मौदगिल
    - * एक ग़ज़ल आप सब के लिए बच्चों के बीच दादी के किस्से संभालिये बाबा की आन-बान के खूंटे संभालिये अम्माँ की याद, तुलसी के बिरवे स...
    12 वर्ष पहले
  • माँ !
    तेरी याद में -सतीश सक्सेना - *हम जी न सकेंगे दुनियां में * *माँ जन्मे कोख तुम्हारी से * *जो दूध पिलाया बचपन में ,* *यह शक्ति उसी से पायी है * *जबसे तेरा आँचल छूटा,**हम हँसना अम्मा भूल ...
    13 वर्ष पहले
  • KAVITAYEN
    - झरना झरता जाये, झरना निरंतर, गाता सस्वर ! गीत गूंजते, मिल नाचे उर्मियाँ, खिले नयन ! सुन्दर शोभा, बहे पानी निर्मल, जगे झरना ! खूब नहाये, है आनंद मनाये, ...
    13 वर्ष पहले
  • ' हया '
    कभी किरदार भी बदलो - *आदाब ,आप सब को नया साल बहुत बहुत मुबारक हो* . नए साल में कई मुशायरे पढ़े .वक़्त की पाबन्दी ने इन महफिलों की रौनक़ छीन ली है , १२ बजे से पहले मुशायरे ख़त...
    13 वर्ष पहले
  • चक्रधर की चकल्लस
    आत्मघात से बुरी कोई चीज़ नहीं - —चौं रे चम्पू! पिछले दिनन में कौन सी खबर नै तेरौ ध्यान खैंचौ? —चचा, ख़बरें तो हर दिन देश की, विदेश की, परियों की, परिवेश की और मुहब्बतों के क्लेश की सामने आ...
    14 वर्ष पहले
  • हमकलम : वह जो मैं नहीं लिख पाया
    फिराक साहब - छ्लक के कम न हो ऐसी कोई शराब नहीं निगाहे-नरगिसे-राना, तेरा जवाब नहीं ज़मीन जाग रही है कि इन्क़लाब है कल वो रात है कि कोई ज़र्रा भी महवे-ख़्वाब नहीं ज़मीन उ...
    14 वर्ष पहले
  • A blog with miscellaneous posts...
    !! Happy Diwali !! - A very very happy and prosperous Diwali to everyone. May peace and joy always be with you.. may Goddess bless you with health and wealth. Here is a blog ...
    14 वर्ष पहले
  • अभिव्यक्ति
    तुम्ही विस्तार हो मेरा - और उस जमीं के सर का, तुम्ही विस्तार हो मेरा. कैसे? हाँ कैसे..........हो मेरा. तुम्हारे ही सपनों के तिनकों से, मैंने नींव रखी है अपने घोंसले की, और ...
    14 वर्ष पहले
  • सुमीर शर्मा हिन्‍दी में
    बदनसीबी - *बदनसीबी * *खुदा के घर से निकली * *घर मेरा ही मिला उसे * *पनाह पाने को * *वो आई * * चबूतरे से ईंट गिरी * * चबूतरा नीचे आ गिरा * * छत तड़क गयी * * दीवारें ...
    14 वर्ष पहले
  • प्रत्येक वाणी में महाकाव्य...
    घट घट में पंछी बोलता - कुछ दिनों से ख़ूलियो इग्लेसियास के गाने सुन रहा था जिन्हें अपनी पत्नी के आग्रह पर मैनें उनके मोबाइल पर डाल दिया था। दरअसल अथर्व महाराज को गाने सुनने का अ...
    14 वर्ष पहले
  • वो जो चुप न रह सका
    भारत की सरकार न्यौत चुकी है भोपाल से भी बड़ा जीनोसाइड... भारत क्या तुम इसके लिये तैयार हो? - भोपाल की टीस फैसले के बाद उभर चुकी है. मुनाफे के वहशी भेड़ियों के द्वारा किया गया वह कत्ले-आम बाहर वालों के लिये सिर्फ चंद तस्वीरें बन कर रह गया है लेकिन...
    15 वर्ष पहले
  • कुन्दकुन्द कहान
    - ૧ 1 ૧ ૦૭-૦૬-૧૯૭૮ બુધવાર જ્યેષ્ઠ સુદ ૨વિ. સં. ૨૦૩૪ 1A ગુજરાતી સાંભળો ડાઉનલોડ ૨ 2 ૧ ૨ ૦૮-૦૬-૧૯૭૮ ગુરૂવાર જ્યેષ્ઠ સુદ ૩વિ. સં. ૨૦૩૪ 1A ગુજરાતી સાંભળો ડાઉનલોડ...
    15 वर्ष पहले
  • थोड़ा सा इंसान...
    तस्वीरों में सैर संडे बुक बाजार की - इस संडे सुबह उठा, तो किताबों से मिलने का मन हुआ। बस कदम चल पड़े दरियागंज की ओर। साथ में कैमरा भी हो लिया। उस मुलाकात में जो कुछ हुआ...पेश है... ...
    15 वर्ष पहले
  • i wanna say...
    -
  • life goes on
    -
  • swarajkhabar
    -
  • neel
    -

Click here for Myspace Layouts
सरल थीम. luoman के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.